Report | वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रहे हैं स्तन और फेफड़े समेत पांच तरह के कैंसर, मृत्यु दर में सबसे तेज वृद्धि

Report | भारतीय वैज्ञानिकों ने अब वायु प्रदूषण और कैंसर के संबंध में पुख्ता जानकारी जुटा ली है। इसके मुताबिक, जहरीली हवा के कारण समुदाय में एक या दो नहीं बल्कि पांच तरह के कैंसर बढ़ रहे हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषित कण सांस के साथ शरीर में पहुंचते हैं और कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के मेडिकल अध्ययनों की समीक्षा के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें साफ कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामले और मृत्यु दर दोनों बढ़ रहे हैं। बढ़ रहे हैं। है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जहरीली हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों के अलावा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन गैस के कारण स्तन, लीवर, फेफड़े, अग्न्याशय और मूत्राशय का कैंसर बढ़ रहा है। वहीं, वैज्ञानिकों ने महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर के लिए ट्रैफिक प्रदूषक तत्वों, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस को जिम्मेदार ठहराया है।

वायु प्रदूषण में भारत आठवें स्थान पर 

स्विस ग्रुप ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि भारत में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। जबकि साल 2022 में भारत का औसत पीएम 2.5 53.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. वर्ष 2022 की रैंकिंग में भारत दुनिया में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले देशों में आठवें स्थान पर था। इसके साथ ही भारत 134 देशों में से तीसरा सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश बन गया है। स्विस समूह आईक्यू एयर के अनुसार, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है।

दिल्ली की हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

वायु प्रदूषण के लिए मशहूर दिल्ली की हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस होती है, जो आमतौर पर उच्च तापमान पर कोयला, तेल, मीथेन गैस या डीजल के जलने से उत्पन्न होती है।

दुनिया भर से 61 अध्ययनों की समीक्षा

आईसीएमआर ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि ये नतीजे दुनिया भर में प्रकाशित 61 मेडिकल अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण में सामने आए हैं। इनमें से 53 अध्ययन समूह स्तर और आठ केस नियंत्रण मॉडल पर आधारित हैं, जो उनकी गुणवत्ता और बेहतर परिणामों की पुष्टि कर रहे हैं। आईसीएमआर का कहना है कि मेटा-विश्लेषण से प्राप्त ये नतीजे सामुदायिक कैंसर की रोकथाम और जांच में मदद कर सकते हैं।

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